एम. ए. हिंदी साहित्य, MA Hindi
प्रथम अयन : पाठ्यचर्या: 1
मध्ययुगीन काव्य
इकाई - I: पूर्वमध्यकालीन काव्य (कबीर / जायसी)
- कबीर - सं. हजारीप्रसाद द्विवेदी ( पदसंख्या 160 से 170 )
- कबीर की काव्यकला, भाषा, समन्वय, मानवता, लोकमंगल
- जायसी पद्मावत नागमती वियोग खण्ड (आरंभ के 10 पद) -508 Page
- जायसी की काव्यकला, भाषा, समन्वय, विरह वर्णन, लोकतत्व Page 145
|इकाई— II: पूर्वमध्यकालीन काव्य ( सूरदास / तुलसीदास)
- सूरदास भ्रमरगीत सार सं. रामचंद्र शुक्ल (पद 21 से 30) -
- सूरदास की काव्यकला, भाषा, समन्वय, लोकमंगल, विरह वर्णन
- तुलसीदास - रामचरितमानस उत्तरकाण्ड (आरंभ के 25 दोहे)
- तुलसीदास की काव्यकला, भाषा, लोकमंगल समन्वय, भक्ति, आदर्श कल्पना ।
इकाई – III: पूर्वमध्यकालीन काव्य (मीरा / रहीम)
- मीरा सं. विश्वनाथ त्रिपाठी (आरंभ के 10 पद) - - मीरा की काव्यकला, भाषा, प्रेमतत्व, प्रगतिशीलता, विरह वर्णन,
- रहीम की काव्यकला, भाषा, नीतितत्व, समन्वय, प्रेमतत्व रहीम ( दोहे : 01 से 25 )
इकाई - IV: उत्तरमध्यकालीन काव्य ( बिहारी / घनानंद)
- बिहारी - बिहारी सतसई – सं. जगन्नाथदास रत्नाकर (दोहा संख्या 01 से 25 )
- बिहारी की काव्यकला, भाषा, प्रेमतत्व, बहुज्ञता
- घनानंद कवित्त सं. विश्वनाथ मिश्र ( कवित्त संख्या 01 से 15 ) -
- घनानंद की काव्यकला, भाषा, प्रेमतत्व ।
संदर्भ ग्रंथ
- कबीर - हजारीप्रसाद द्विवेदी
- जायसी ग्रंथावली - सं. रामचंद्र शुक्ल
- संक्षिप्त सूरसारगर - सं. डॉ. प्रेमनारायण टंडन
- मीराबाई की पदावली - सं. परशुराम चतुर्वेदी
- महाकवि भूषण – सं. भगीरथ प्रसाद दीक्षित
- काव्य की भूमिका - रामधारी सिंह दीनकर
- घनानंद कवित्त - चंद्रशेखर मिश्र शास्त्री
- साहित्य और मानवीय संवेदना – डॉ. सदानंद भोसले (Available in KRC/library)
- जायसी के पद्मावत का मूल्यांकन – प्रो. हरेंद्र प्रताप सिन्हा -
- महाकवि जायसी और उनका काव्य - डॉ. इकबाल अहमद
- मलिक मुहम्मद जायसी और उनका काव्य - डॉ. शिवसहाय पाठक..
- जायसी पद्मावत काव्य और दर्शन – डॉ. गोविंद त्रिगुणायत
- पद्मावत में काव्य, संस्कृति और दर्शन – डॉ. द्वारिकाप्रसाद सक्सेना
- पद्मावत का काव्य सौंदर्य - डॉ. चंद्रबली पाण्डेय
- हिंदी के प्रतिनिधि कवि - डॉ. सुरेश अग्रवाल
- कबीर वचनामृत - संपा. डॉ. विजयेंद्र स्नातक, डॉ. रमेशचंद्र मिश्र
- कबीर साहित्य का चिंतन – संपा. प्रा. दत्तात्रय टिळेकर
- भारतीय संतों का साहित्यिक योगदान – संपा. संजय महेर, प्रा. शरद कोलते
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